सोमवार, 7 मार्च 2016

A wish on Women's International Day...




Respect my Individuality


UNO ने 8 मार्च का दिन महिलाओं को समर्पित किया है. एक ऐसा संगठन जो पुरुषों द्वारा संचालित होता है. है न मजेदार और ironical बात...!शायद इस तरह से पुरुष सत्तात्मक समाज ने नारी को थोड़ी रहत देने की कोशिश की है. नहीं... नहीं इससे आप ये न समझे कि मै किसी नारीवादी आन्दोलन की हिमायत कर रही हूँ. वास्तव में नारी स्वयं तय करे कि उसके नाम से कोई दिन हो अथवा नहीं. एक इंसान की हैसियत से इसकी  आवश्कता ही नहीं होनी चाहिए. evolution के नजरिये से nature ने ही नारी और पुरुष कि भूमिका तय की है फिर उसमें इस तरह नारी के नाम एक दिन करना को क्या मन जाए...?


           मर्द और औरत के बीच का रिश्ता बिलकुल खट्टे-मीठे अचार की तरह है.और यदि सामाजिक तौर पर कहें तो वे गाड़ी में जुते दो पहियों की तरह हैं,जो एक दूसरे के parallel जिंदगी भर चलते हैं और एक horizontal bar से आपस में जुड़े रहते हैं. ये bar "trust" का है जो इस बंधन को जोड़े रखता है. ये ironical है कि आज तक इन दोनों पहियों का साइज़ एक सा नहीं रहा, तभी तो ये गाड़ी हमेशा से लड़खड़ाकर चलती आई है. ये गाड़ी पूरी दुनिया में एक जैसी ही है. नारी की स्थिति दोयम दर्जे कि आज भी है पर इसके लिए पुरुष तो दोषी है वो स्वयं भी दोषी है. मै एक नारी कि हैसियत से सोचने को मजबूर हूँ कि मुझसे किसने कहा है कि मै खुद को हाशिये पर खड़ा रखूं...?


आज जब 8 मार्च international woman’s day के रूप में मनाया जा रहा है...तो मै यही सोच रही हूँ कि क्या मै अपने best half से इस बात पर discussion तो कर ही सकती हूँ कि मै क्या सोचती हूँ...? एक इंसान के रूप में क्या महसूस करती हूँ...? जब तक मै ये नहीं बताउंगी तो वो कैसे जान पायेगा कि मै उससे अपने लिए क्या चाहती हूँ....? 

# वो मेरी पहचान का सम्मान एक व्यक्ति  के रूप में करे  न की एक औरत के रूप में और वो भी बराबरी के धरातल पर. यदि वो एक नारी के रूप में ही मुझे जानने की कोशिश करेगा तो फिर नारी के लिए सदियों से चली आ रही पुरुष मानसिकता को ही follow करेगा और नारी के लिए जो prejudices हैं उसमें बदलाव नहीं हो सकेगा और ये मै कभी भी नहीं चाहती. मेरे partner को अपनी सोच बदलनी ही होगी तभी हम एक ideal couple के रूप में साथ हो सकेंगे.


# मै जैसी हूँ वो मुझे वैसे ही स्वीकारे...ये नहीं की वह केवल मुझमें अपनी सोच के अनुरूप पार्टनर ढूंढे, मैंने भी उसे वो जैसा है वैसा ही स्वीकार किया है. हमें एक दूसरे को एक दूसरे की खामियों और खूबियों के साथ अपनाना चाहिए. एक दूसरे कि खूबियों को appreciate करना चाहिए और जो भी कमियां हैं उसे दूर करने में एक दूसरे कि मदद करेंगे.

# हमारा आपस में तालमेल हो. हम जो भी काम करें- चाहे घर में या घर के बाहर, हमारा आपस में तालमेल होना चाहिए. घर के काम हों या फिर बाहर के काम हों, हम दोनों उन कामों को बाँट लेंगे तो हमारे बीच अच्छी understanding develop हो सकेगी. घर या घर के बाहर के काम ये सोच कर नहीं करंगे कि ये औरत या मर्द का काम है- जैसी की सदियों से औरत को लेकर जो stereotype सोच बनी हुई है और वो सोच का बदलना जरुरी है. 

# space देना होगा. मै चाहूंगी कि वो मेरी privacy की respect करे और मुझे space दे और मै भी उसके साथ ऐसा ही करना चाहूंगी. ये एकदम से possible नहीं होगा पर हम दोनों को effort करना होगा.

 अपने पार्टनर से बहुत ज्यादा expectation कभी भी अच्छी नहीं होती क्योंकि इस तरह से आप दूसरे को अपने हिसाब से ढालने की कोशिश करते हैं और ये एक तरह से किसी की individuality और personality को change करने की कोशिश करते हैं- और ये किसी भी couple के relationship के survival के लिए खतरा है.

 आज 8 मार्च के दिन मै अपने पार्टनर से इससे अधिक कुछ भी नहीं चाहती. मेरे जैसे ही बहुत सारी महिलाएं भी शायद ऐसा ही चाहती हैं पर... वो ये कहने से कतराती हैं, पर... आप अब अपनी चुप्पी तोड़ ही दें- नहीं तो ऐसा नहीं हूँ की देर हो जाए और फिर आप पछ्ताएं कि ....                      
(वीणा सेठी)
  “I’m blogging about the kasams I want from my man this Women’s Day with the #SadaSexy activity at BlogAdda



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Ads Inside Post