शनिवार, 15 अगस्त 2015

कविता-जश्न-ऐ-आजादी



जश्न-ऐ-आजादी

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जश्न-ऐ-आजादी में शिरकत करेंगे हम,
हौंसलों के परों से नयी उड़ान भरेंगे हम.
राह में आये चाहे कोई भी तूफान;
उसे राह से हटा के दम लेंगे हम.
जिस राह से गुजर के गए शहीद;
उस राह के राहबर बनेंगे हम.
तरक्की की राह जहाँ से भी खुले;
उन राहों पर बढ़ चलेंगे हम.
दंगा-फसाद जो फैलाते हैं;
उन्हें अमन का सन्देश देंगे हम.
मजहब से देश को जो बाँट रहे;
उन्हें निकाल बाहर करेंगे हम.
आजादी की इस सुंदर भोर में;
आओ प्यारा तरंगा फहराएँ हम.
वीणा सेठी.



1 टिप्पणी:

  1. आमीन ... तिरंगे की शान बरकरार रखनी है ... बहुत सुन्दर गीत जश्ने आजादी का ...

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