सोमवार, 28 मई 2012

चुनौती .......................

तपते सूरज को जब दी चुनौती .....
 साथ मिला Lakme Sun Expert का 

 

The Lakmé Diva Blogger Contest ने एक बार फिर कुछ भुला हुआ सा याद दिला दिया,
चलिए..आपके साथ भी बाँट लेती हूँ. बात ये है की गर्मी अब अपने चरम पर है
पर......... मै हूँ जो ये भी भूल जाती हूँ कि.........जब भी घर से बाहर निकलो
तो अपने स्किन का ध्यान रखना  चाहिए. जब मेरा ध्यान इस बात पर इस contest के
कारण ही गया ओर जो सबसे पहला काम मैंने किया वो था lakme sun expert को खरीदने
का. और इससे मेरा एक फायदा और भी हो गया, क्योंकि मुझे अपने किसी काम से
Mumbai भी जाना था. और मुझे मालूम था कि इन products की मुझे जरुरत पड़ने वाली
है.


खैर मै Mumbai आई और ये तो हो ही नहीं सकता था की मै चौपाटी और झुहू बीच न
जाऊ. मुझे २-३ दिन ही ठहरना था और अपने busy schedule में से मैंने अपने लिए
समय निकल ही लिया था, मेरे पास मात्र ३-४ घंटे थे जिसमे मै चाहती थी की समंदर
किनारे का पूरा लुत्फ़ उठा लूं. मै गर्मी के मारे परेशान थी, पर  मै ठान चुकी
थी कि चाहे कुछ भी हो जाये चौपाटी तो घूमना बनता ही है. चौपाटी कि सबसे मजेदार
बात ये है कि यहाँ पर आकर एक छोटे-मोटे भारत के दर्शन एक ही जगह हो जाते हैं.





द्रश्य 1दृश्य 
चौपाटी एक विहंगम दृश्य 
दोपहर  के 3 बजे ही मै चौपाटी पहुच गई थी पर.............एक बात तो मै बताना
भूल ही गई कि........... मै मई महीने कि तेज धूप का सामना करने को पूरी तरह
तैयार थी, और होती भी क्यों न.! मेरे साथ थे Lakme Sun Expert के  products ,
मै अपने चहरे पर  skin lightening cream लगा कर बहार निकल गई .क्योंकि मै
जानती थी कि .................अब सूरज महोदय मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते थे.
मैंने अपने साथ कोई छाता या सिर ढाकने के लिए कुछ भी साथ नहीं रखा. ये तो पता
ही था कि Lakme sun Expert की Fairness+UV lotion  मुझे  सूरज  की ultra 
violet  किरणों से पूरी तरह सुरक्षित रखेगा. मुझे पूरा विश्वास है यदि  मेरे साथ
Kyra होती तो वो भी शायद ये ही करना पसंद करती.


मै जब चौपाटी पहुची तो मेरे दिमाग में यही बात थी की इतनी दोपहर मै भीड़ नहीं
होगी....पर.............?? मै गलत थी, चौपाटी पर बिलकुल रोज  की तरह ही भीड़ थी.
मजे का शगल था. .......समंदर का गहरा  नीला पानी और ऊपर से आसमान का हल्का
आसमानी रंग मानो..... दूर  फलक पर दोनों एक दूसरे की बाँहों में खो जाने को
बेक़रार दिख रहे थे...........ओह! इस मंजर ने तो मुझ जैसे रूखे इन्सान को भी
शायर बना दिया है.

"'तुझे देखकर अब और कुछ भी
देखने को जी नहीं चाहता.
तेरी आँखों में जो नीला समंदर है,
बस उसमे डूब जाने को जी चाहता है."


जब मै चौपाटी पर घूम रही थी तो मन में एक विचार पैदा हुआ कि यदि मेरे साथ
kyra  होती तो उसके साथ रेत में घरौंदा बनाने में मजा आता. बचपन को एक बात फिर
से जी लेने को मन मचल गया और आव देखा न ताव मै उस चिलचिलाती दोपहर में गर्म
रेत कि प्रवाह किये बिना ही समंदर कि गीली रेत पर तक पहुँच गई और आराम से
आलती-पालथी मार कर बैठ गई. अपने कपड़ों की परवाह किये बगैर जैसे बचपन में पैर
के ऊपर रेत डालकर उसे अच्छे से दबा देते थे और फिर धीरे से पैर निकल देते थे,
और उस जगह अपनेआप ही घरोंदे का दरवाजा बन जाता था, फिर उसके आसपास की सजावट
करते थे. अकेले होने पर भी ये सब करने में मजा आ रहा था. थोड़ी ही दूर पर बर्फ
का गोला बनाने वाला खड़ा था, .............मै घरोंदा बनाना छोड़ कर उसके ठेले की
ओर लपकी. इतनी तपा देने गर्मी में तो बर्फ का गोला चूस कर लगा जैसे कश्मीर की
बर्फीली वादियों में पहुँच गई हूँ. उपर  सूरज और हाथ में बर्फ का गोला

...........कहिये सोच कर कैसा लगा.........??? मजा आया न....! घडी में देखा तो
शाम के ६ बज रहे थे. अरे...!! समय का पता ही नहीं चला. अब तक तो चौपाटी पर हजूम उमड़ पड़ा था. धीरे -धीरे सूरज एक  पीली गोल गेन्द में तब्दील चुका  था और समंदर उसे निगल  भी गया था . आसमान  धूसर पीले रंग का हो गया था और समंदर कालिमा की आगोश में जाने जाने  को बेक़रार हो रहा था.
डूबता सूरज -चौपाटी 
अब लग लग रहा था कि चल मुसाफिर तुम्हारी रवानगी का समय हो गया है  .सूरज ने भी अलविदा ये कहकर किया कि मै डूबा नहीं हूँ वरन आखों से ओझल होकर दुनिया के किसी और कोने में प्रकट होने वाला हूँ .


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