बुधवार, 9 मई 2012

हिंदी हाइकू ................1

(1)

नींद 

पलकों पर  गिरी;
फिर 
 बह चली ......
 दरिया की मनिंद .


(2)

खत 

कोरे कागज पर,
स्याही से उकेरे ;
कुछ  शब्द .

(3)

खता 

एक पल  की खता :
और  
सदियों  को  मिली  सजा. 

(4)

आसूं 

सुख  में :
दुख में;
पलक  की  कोर पर 
ठहरी  सी:
खारे  पानी की एक बूंद .
  (5)


ऑस 

शीत   की भोर में ;
पत्तों पर ठहरा हुआ ,
पानी का एक कतरा.

(6)
वृक्ष 

 एक तना;
कुछ  शाखाएँ ;
ढेरों पत्तों का लबादा ओढ़े;
स्थिर खड़ा
 आमंत्रण देता. 









4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
    घूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच
    लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!
    --
    डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
    टनकपुर रोड, खटीमा,
    ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - 262308.
    Phone/Fax: कार्यालयः 05943-250207,निवास- 05943-250129
    Mobiles: 08542068797, 09456383898,
    09808136060, 09368499921,
    09997996437, 07417619828
    Website - http://uchcharan.blogspot.com/

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