सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

बात एक अनकही सी -8.........(एक दिन प्यार के ).

प्यार के नाम एक दिन ही क्यों

प्यार एक शब्द है पर एहसास के दायरे में आते ही कायनात बन जाता है। यूँ तो विज्ञान ने प्यार को केवल कुछ रसायनिक यौगिकों का एक समीकरण माना है। प्यार दिल से नहीं दिमाग से होता है ये भी साबित हो चुका है। तो बेचारा दिल क्या करे........?? चूँकि जब प्यार का एहसास जागता है तो दिमाग  का एक हिस्सा विशेष रूप से सक्रिय हो जाता है और जहाँ से कुछ रसायनों याने हारमोंस का रिसाव होता हो जो प्यार की मंजिल तय कर देता है। अब अगर प्यार विशुद्ध रसायन याने केमिस्ट्री है तो फिर एहसास के बारे में क्या कहा जाये................. ?



कहते हैं प्यार एक पल के दसवें हिस्से में ही हो जाता है। अब भला बताएं जिसके साथ पूरे जीवन का सफ़र तय करना हो उसे परखने में कुछ समय तो लगना ही चाहिए पर उसी शख्स की परख एक सेकेण्ड के दसवें हिस्से में हो जाती है। इसी एहसास का छोर पकड़ कर एड इन्सान दूसरे इन्सान के लिए दुनिया का सबसे खास व्यक्ति बन जाता है। प्यार का ये एहसास रूहानी है जो इन्सान की जिंदगी की ताकत बन जाता है। पर............. पर................... ये प्यार के शुरुआती दौर की बात है जहाँ हमें एक इन्सान में केवल और केवल खूबियाँ ही नजर आती हैं। प्यार के शिखर पर जब व्यक्ति होता है तो वो आँखों का अँधा और कानों का बहरा हो जाता है, उसे अपने प्यार में केवल गुण ही नजर आते हैं पर जब प्यार की छोटी से ढलान की तरफ का सफ़र जब शुरू होता है तो आँख और कान खुलना शुरू होते हैं तो प्यार में छुपी हुई खामियां धीरे-धीरे उजागर होनी शुरू होने लगती हैं और गिले -शिकवे का दौर शुरू जाता है । ek बिंदु पर आकर प्यार में वो तपन शुरू में अनुभव नहीं होती और जो शुरुआत में लगती है और प्यार अपनी मंजिल पर पहुचने से पहले ही दम तोड़ने लगता है।
प्यार वास्तव में समर्पण, समझदारी, आपसी सूझबूझ और संयम का नाम है, पर अधिकतर लोग जीवन में प्यार का स्वागत बाढ़ की तरह करते हैं जो सब तट बंधन तोड़ कर जीवन में प्रवेश करता है। स्वाभाविक है कि समपर्ण, आपसी सूझबूझ और संयम उसकी चपेट में आकर बह जाते हैं और बाढ़ के हटने पर जिस तरह से बर्बादी का मंजर सामने आता है, प्यार का सैलाब भी जब कमजोर पड़ता है तो इन्सान कि जिंदगी बर्बाद करके जाता है। अतः जरुरत है प्यार को सम्हाल कर रखने की, उसे जीवन में बढ़ की तरह न आने दें बल्कि बहती हुई नदी की तरह आने दें। उसके तट बंधन भी समर्पण, आपसी सूझबूझ और संयम की दीवारों से मजबूत बनायें। फिर देखिये प्यार की ये बहती नदी आपके जीवन को किस तरह हराभरा रखेगी।
प्यार को जीवन में एक बार आने के बाद कभी जाने न दें, अपने जीवन में आ गए प्यार के नाम जीवन का हर दिन कर दें फिर आपके प्यार के लिए किसी भी वेलेंटाइन डे की जरुरत नहीं पड़ेगी...............



























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